क्या कोई पिता बेहतर मां बन सकती है? जवाब आदित्य तिवारी ने दिया है।
भारत के सबसे कम उम्र के सिंगल फादर को आज 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर बेंगलुरु के एक कार्यक्रम में ‘विश्व के सर्वश्रेष्ठ मम्मी’ पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। यह जानने के बाद कि ज्यादातर लोग विशेष जरूरतों वाले बच्चे को गोद नहीं लेना चाहते हैं, पुणे निवासी आदित्य तिवारी ने 2016 में 22 महीने के बच्चे, अवनीश जो कि डाउन सिंड्रोम से पीड़ित हैं को गोद लेने का फैसला किया और इसके लिए सॉफ्टवेयर इंजीनियर की नौकरी भी छोड़ दी।
पुरस्कार प्राप्त करने की खबर पाने के बाद तिवारी ने फेसबुक पर उए स्टेटस अपडेट किया: “motherhood: all love begins and ends there”.
28 वर्षीय तिवारी समारोह में पैनल चर्चा में भी भाग लेंगे और ख़बरों के मुताबिक के मुताबिक, पिता-पुत्र की जोड़ी पहले से ही 22 राज्यों में जाकर बैठकें, कार्यशालाएं, सम्मेलन आयोजित कर चुके हैं।
एक राष्ट्रीय मीडिया को तिवारी द्वारा दिए गए इंटरव्यू के अनुसार पिता पुत्र की जोड़ी को बौद्धिक विकलांग बच्चों को के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए के लिए लिए संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा भी आमंत्रित किया गया था।
खबरों के अनुसार, जन्म के समय अवनीश के दिल में दो छेद थे, और वह डाउन सिंड्रोम से पीड़ित था। इस वज़ह से उसके माँ बाप ने उसे अपनाने से इंकार कर दिया. हालाकिं अब वो दोनों होल गायब हो गए हैं, लेकिन उसे अभी भी दो महत्वपूर्ण सर्जरी से गुजरना होगा।
डाउन सिंड्रोम (Down’s Syndrome) क्या है?
डाउन सिंड्रोम एक अनुवांशिक विकार है जिसके कारण बच्चो के दिमाग का विकास देरी से होता है। यह तब होता है जब असामान्य सेल विभाजन के कारण क्रोमोसोम 21 की अतिरिक्त प्रति उत्पन्न होती है। बच्चों में सीखने की अक्षमता का यह सबसे आम कारण होता है। जिससे बच्चो की सिखने की क्षमता कम हो जाती है इसके परिणामस्वरूप हृदय और गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल विकार जैसे चिकित्सीय असामान्यताएं भी हो सकती हैं। यह एक आजीवन विकार है और इसे ठीक नहीं किया जा सकता है लेकिन उपचार इससे बेहतर तरीके से निपटने में मदद कर सकते हैं। डाउन सिंड्रोम वाला प्रत्येक व्यक्ति अलग-अलग बौद्धिक विकलांगताओं का शिकार होता है जो हल्का, मध्यम या गंभीर हो सकता है।
Image Courtesy: The Indian Express