कोविड से निबटने के लिए पूरे विश्व में हर दिन नये-नये रिसर्च हो हे हैं। विश्व के तमाम वैज्ञानिक कोविड और इसके अलग-अलग रूप का पता लगाने के लिए पिछले एक साल से लगे हुए हैं। भारत भी इस कोशिश में पीछे नहीं है।
इसे लड़ने के लिए गंभीरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इसके इलाज के लिए 200 से अधिक ड्रग्स कम्पाउंड को टेस्ट किया गया है। इसक अलावा लगभग 100 0 थिरैप्यूटिक एजेंट्स का क्लिनिकल ट्रायल भी किया जा रहा है।
यह रिसर्च हैदराबाद स्थित नैशनल इंस्टिट्यूट ऑफ फार्मास्यूटिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (NIPER) के वैज्ञानिकों की अगुवाई में हो रहा है।
अब तब सामने आए शोध के अनुसार कोविड इलाज में अब तक 265 क्लिनिकल ट्रायल किया गया। इसमें पाया गया कि 115 मामले में वायरल लोड को घटाने और बीमारी को कम करने में सीधा सकारात्मक प्रभा दिखा। इसमें काेविड वैक्सीन को छोड़कर अभी तक जितने भी ड्रग्स की टेस्टिंग की गई है, वे सभी पुरानी दवाएं हैं, जिन्हें कोविड के उद्देश्य से दोबारा तैयार किया गया है। कोरोना संक्रमण की तेज दर की वजह से चिकित्सा संबंधी मैनेजमेंट में चुनौती आई। एक्सपर्ट के अनुसार इस रिसर्च का बड़ा लाभ मिलेगा।
रिसर्च के अनुसार क्लिनिकल ट्रायल के लिए बड़ी संख्या में एंटी पैरासाइट, एंटीवायरल ड्रग्स, मोनोक्लोनल एंटीबॉडी, वैक्सीन और स्टेम सेल थिरेपी का प्रयोग किया गया। यह रिपोर्ट साइंटिफिक जर्नल बायोमेडिसिन ऐंड फार्माकोथेरेपी में पब्लिश हुई है। इसके अलावा डॉक्टर बी आर अंबेडकर सेंटर फॉर बायोमेडिकल रिसर्च, दिल्ली यूनिवर्सिटी और चंडीगढ़ कॉलेज ऑफ फार्मेसी भी इस रिसर्च में शामिल रहे।
कोवैक्सीन को जल्द मिलेगी मान्यता
वहीं भारत निर्मित कोवैक्सीन को विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से जल्द मान्यता मिल सकती है। टीका बनाने वाले कंपनी काकहना है कि उन्होंने इसके लिए जरूरी रिपोर्ट संगठन के सामने जमा कर दिये हैं जिनमें क्लीनिकल ट्रायल के सारे डाटा हैं। अब अगले हफ्ते हाने वाली मीटिंग में भारत निर्मित इस टीके को भी कही आने जाने के लि मान्यता मिल सकती है। अभी तक कोवैक्सीन विश्व स्वास्थ्य संगठन की लिस्ट में शामिल नहीं है। इससे इस टीका लेन वालों के लिए विदेश यात्रा जाने पर संदेह बना हुआ है। मालूम हो कि कोविड के बाद हर देश अब टीका पासपोर्ट भी जारी कर रहा है और इसे अपने यहां आने के लिए अनिवार्य बना रहा है।