– सुश्री कंचन नायकवाड़ी, प्रिवेंटिव हेल्थकेयर विशेषज्ञ, इंडस हेल्थ प्लस
जीन, शारीरिक रचना और हार्मोन के स्तर में भिन्नता के कारण कुछ रोग महिलाओं पर पुरुषों की तुलना में अधिक बार हमला करते हैं और ऐसा ही पुरुषों के साथ होता है। हालांकि, पुरुषों और महिलाओं दोनों को अलग-अलग तरह की बीमारियां होती हैं, पर कुछ तरह की स्वास्थ्य समस्याएं महिलाओं को अलग तरह से और आमतौर पर अधिक प्रभावित करती हैं। फिर भी महिलाओं के स्वास्थ्य की समस्याएं कुछ अलग तरह की होती हैं। महिलाएं स्तन कैंसर, ग्रीवा कैंसर, रजोनिवृत्ति और गर्भावस्था जैसी विशेष स्वास्थ्य समस्याओं को सहन करती हैं। पुरुषों की तुलना में महिलाओं में हार्ट अटैक से होने वाली मौतें ज्यादा होती हैं। महिला रोगियों में डिप्रेशन और एंग्जाइटी अमूमन ज्यादा देखने को मिलता है। मूत्रमार्ग की बीमारियां महिलाओं में ज्यादा होती हैं और यौन संचारित रोग महिलाओं को अधिक नुकसान पहुंचा सकते हैं।
पिछले कुछ वर्षों में इंडस हेल्थ प्लस द्वारा किए गए चेकअप के आंकड़ों से यह स्पष्ट होता है कि महिलाओं में स्वास्थ्य की स्थितियां कैसी हैं और किस तरह लगातार बढ़ती जा रही है।
लगभग 10000 लोगों के चेकअप डेटा जिनमें से 4093 महिलाएँ थीं, से पता चला है कि 17 फीसदी महिलाओं को थायराइड की बीमारी का सामना करना पड़ा जबकि पुरुषों में सिर्फ 9 फीसदी को यह बीमारी हुई। मूत्र संक्रमण (यूरीन इंफेक्शन) महिलाओं में 16 फीसदी को जबकि पुरुषों में 6 फीसदी को था। एनीमिया 6 फीसदी पुरुषों की तुलना में 32 फीसदी महिलाओं में था। 72 फीसदी महिलाओं में हड्डी की बीमारियां थीं और 87 फीसदी में महिलाओं में विटामिन डी की कमी देखने को मिली।
27 फीसदी महिलाओं में उनके पैप स्मीयर रिपोर्ट में कुछ असमानताएं देखी गईं। यह सर्वाइकल कैंसर का पता लगाने के लिए किया जाने वाला एक बुनियादी स्क्रीनिंग टेस्ट है। महिलाओं में ये असमानताएं हल्के सूजन से लेकर कैंसर कोशिकाओं की उपस्थिति तक थीं। 20 फीसदी महिलाओं की सोनोमैमोग्राफी रिपोर्ट में कुछ न कुछ गड़बड़ था। महिलाओं में दिल की बीमारी लगभग 29 फीसदी को थी और 40 फीसदी महिलाओं में फास्टिंग शुगर का लेवल असामान्य देखा गया।
यह डेटा हमें हमारे समाज में महिलाओं की स्वास्थ्य की स्थिति के बारे में जानकारी देता है और यह स्पष्ट रूप से इंगित करता है कि महिलाओं के स्वास्थ्य को बहुत गंभीरता से लेने की जरूरत है। महिलाओं को यह समझने की जरूरत है कि उन्हें अपने स्वास्थ्य की जिम्मेदारी खुद लेनी होगी। उन्हें एक पौष्टिक और संतुलित डाइट लेने, पर्याप्त रूप से हाइड्रेटेड रहने और शारीरिक रूप से सक्रिय होने के महत्व को समझना चाहिए। उन्हें अपने मानसिक और मनोवैज्ञानिक सेहत के बारे में सचेत रहने की जरूरत है।
इन स्थितियों के लिए अपने जोखिम कारकों के बारे में जानकर उनपर नियंत्रण रखें। फिर अपने जोखिम को कम करने के बारे में गंभीर हो जाएं।
पुरानी बीमारियों का इलाज कराएं और अनुशंसित स्क्रीनिंग कराएं
नियमित जांच कराने की आदत डालें। यदि आपको किसी स्वास्थ्य समस्याओं का पता चला है जैसेकि हाई कोलेस्ट्रॉल, हाई ब्लडप्रेशर या डायबिटीज जो हृदय रोग और स्ट्रोक के जोखिम को बढ़ाता है, तो आप अपने डॉक्टर की उपचार सिफारिशों का पालन करें। इसके अलावा अपने डॉक्टर से इस बारे में सलाह लें कि आपको मैमोग्राम (आदर्श रूप से 40 वर्ष या उससे अधिक की उम्र में) और कैंसर संबंधी कब जांच कराना चाहिए।
स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं :
जबकि आप पारिवारिक इतिहास जैसे जोखिम कारकों को समाप्त नहीं कर सकते, आप हृदय रोग, स्ट्रोक और कैंसर के अन्य जोखिम कारकों को नियंत्रित कर सकते हैं। उदाहरण के लिए:
✔ धूम्रपान नहीं करें : यदि आप धूम्रपान करते हैं या अन्य तम्बाकू उत्पादों का उपयोग करते हैं तो अपने चिकित्सक से आपको इन्हें छोड़ने में मदद करने के लिए कहें। निष्क्रिय धूम्रपान के संपर्क में आने से बचें।
✔ सेहतमंद डाइट लें : सब्जियां, फल, साबुत अनाज, उच्च फाइबर वाले खाद्य पदार्थ और मछली जैसे हल्के प्रोटीन वाले स्रोत चुनें। अधिक संतृप्त और ट्रांस फैट वाले खाद्य पदार्थ और अतिरिक्त चीनी वाले खाद्य पदार्थों को सीमित मात्रा में लें।
✔ स्वस्थ वजन बनाए रखें : अतिरिक्त पाउंड खोना और उन्हें बंद रखना आपके हृदय रोग के जोखिम के साथ-साथ कई अन्य समस्याओं को भी कम कर सकता है।
✔ चलते-फिरते रहो : एक्सरसाइज आपको अपना वजन नियंत्रित करने और हृदय रोग और स्ट्रोक के जोखिम को कम करने में मदद कर सकता है। यह कुछ प्रकार के कैंसर के जोखिम को भी कम कर सकता है। ऐसी गतिविधियों को चुनें जिनमें आपको आनंद मिलता है। इसमें तेज चलने से लेकर बॉलरूम डांस तक कुछ भी शामिल हो सकता है। सभी तरह के एक्सरसाइज आपके जोखिम को कम करेंगे।
✔ शराब से बचें : बहुत अधिक शराब आपके ब्लड प्रेशर को बढ़ा सकती है और लीवर के रोगों का खतरा भी बढ़ा सकती है।
✔ तनाव का प्रबंधन करें : यदि आप खुद को लगातार कगार पर पाते हैं या हमले की आशंका महसूस करते हैं तो इससे आपकी जीवनशैली की आदतें प्रभावित हो सकती हैं। इसलिए अपने इम्यून सिस्टम पर भी नजर रखें। तनाव को कम करने के उपाय करें या स्वस्थ तरीके से तनाव से निपटना सीखें।
✔ अपनी आनुवंशिक प्रवृत्तियों को जानें : स्वास्थ्य स्थितियों के लिए और अपने न्यूट्रीशन / डाइट और फिटनेस योजना को निजीकृत करने के लिए अपनी आनुवंशिक प्रवृत्तियों को जानें।