हाल ही में विश्व स्वास्थ संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने एक बार फिर चेतावनी दी है कि च्चों को भी कोरोना से खतरा है. डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि इस जानलेवा वायरस से बच्चे भी संक्रमित हो सकते हैं. कोरोना वायरस दुनिया भर में कई युवाओं को भी बीमार कर चुका है. कई की जान भी ले चुका है.
विश्व स्वास्थ संगठन की यूरोपीय शाखा के प्रमुख हांस क्लज ने डेनमार्क के शहर कोपनहेगन में मीडिया से बात करते हुए कहा, “यह ख्याल की कोविड-19 के शिकार में सिर्फ अधिक उम्र वाले लोग होते हैं, तथ्यों के आधार पर पूरी तरह गलत है.”
क्लज ने आगे कहा, “जानलेवा महामारी के लिए सिर्फ उम्र ही जोखिम नहीं है.” उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया में युवाओं, किशोरों और बच्चों के कई गंभीर मामले आ चुके हैं. कुछ लोगों को आईसीयू में भर्ती कराने की नौबत आ चुकी है, जबकि कई लोगों की मौत हो चुकी है.
ऐसे भी मामले हैं जिनमें मां कोविड19 से संक्रमित है और बच्चा भी पैदा होने के कुछ घंटों के अंदर ही वायरस से संक्रमित पाया गया है.
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) का एक अध्ययन सामने आया है, जिसमें बताया गया है, “मौजूदा प्रमाण बताते हैं कि गर्भ के अंदर ही मां से बच्चे को कोविड19 का संक्रमण हो सकता है. हालांकि, हर मामले में ऐसा हो ये ज़रूरी नहीं है. पर ऐसा हो सकता है.
कई बच्चों में कावासाकी रोग के समान लक्षणों के दिखाई दिए जाने के बाद ब्रिटेन में चेतावनी जारी की गई है. कावासाकी रोग, जिसे म्यूकोस्यूटियस लिम्फ नोड सिंड्रोम भी कहा जाता है, एक ऐसी बीमारी है जिसमें पूरे शरीर में रक्त वाहिकाओं सूजन हो जाते हैं. सबसे आम लक्षणों में बुखार होता है जो सामान्य दवाओं, गर्दन में बड़े लिम्फ नोड्स, जननांग क्षेत्र में एक दांत, और लाल आंखों, होंठ, हथेलियों या पैरों के तलवों से प्रभावित पांच दिनों से अधिक समय तक रहता है. अन्य लक्षणों में गले में दर्द और दस्त शामिल हैं. लक्षणों की शुरुआत के तीन सप्ताह के भीतर, हाथों और पैरों की त्वचा छील सकती है.
ब्रिटेन में बच्चों में इस तरह के लक्षण पाए गए हैं और ये लक्षण कोविड 19 के मरीजों में पाए जाने वाले लक्षणों के समान है. हालाकिं, बच्चों में पाए गए ये लक्षण दुर्लभ हैं. अब तक लगभग 20 बच्चों में ये लक्षण पाए गए हैं और सभी बच्चे कोविड से संक्रमित भी नहीं है. कुल मिलाकर, अभी तक इस बीमारी के शिकार मुख्यतः वृद्ध या वयस्क ही होते हैं. बच्चों में गंभीर लक्षण पाए जाने की संभावना कम ही रहती है.
अलग-अलग उम्र में जोखिम
एक संस्था द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, इंग्लैंड, वेल्स और उत्तरी आयरलैंड में कोरोना वायरस से संक्रमित गंभीर मामलों में औसत आयु 24 अप्रैल तक 60 वर्ष थी.
इस बीच, यूएस के सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) के द्वारा जारी आंकड़ों से पता चला है कि 65 से अधिक उम्र के लोगों की कोरोना वायरस से संक्रमित होने के बाद अस्पताल में भर्ती होने की संभावना 50-64 साल के उम्र के लोगों से दुगुनी होती है. 50-64 साल के उम्र के लोगों की अस्पताल में भारती होने की संभावना 18-49 साल के लोगों की तुलना में तिगुनी हो जाती है.
18 साल से कम उम्र के लोग सबसे कम प्रभावित समूह है. एक्सेटर विश्वविद्यालय के बाल रोग संक्रामक रोग विशेषज्ञ प्रोफेसर एडिलिया वारिस के अनुसार “कोविड 19 के घोषित मरीजों में बच्चों का अनुपात सिर्फ 1 से 5% है. अक्सर वयस्कों की तुलना में बच्चों में मामूली लक्षण पाए गए हैं. और इस बीमारी से बच्चों की मौत होना बहुत दर्लभ है.”
लेकिन, ग्रेट ऑरमंड स्ट्रीट अस्पताल में बाल श्वसन चिकित्सा में सलाहकार प्रो रोजलिंड स्मिथ बताते हैं, “बच्चों में इस स्थिति के बारे में हमारी समझ सीमित है.