कोरोना वायरस के कारण दुनिया भर में अब तक छह लाख से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है, वायरस की कोई प्रमाणिक वैक्सीन या दवा अब भी तैयार नहीं की जा सकी है. वैक्सीन बनाने में दुनियाभर के वैज्ञानिक दिन-रात लगे हैं. भारत की ही कम से कम सात कंपनियां- Bharat Biotech, Zydus Cadila, Serum Institute, Mynvax Panacea Biotec, Indian Immunologicals और Biological E कोरोना वायरस की वैक्सीन बनाने में जुटी हुई हैं.
आज कोरोना के खिलाफ वायरस बनाने की मुहिम में एक बहुत बड़ी खबर आई है.
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने दवा किया है कि उसके द्वारा विकसित कोरोना वैक्सीन सुरक्षित जान पड़ती है और इम्यून सिस्टम को ट्रेन करती है. यूनिवर्सिटी ने वैक्सीन के शुरुआती क्लिनिकल ट्रायल डेटा आज जारी किया है.
कोरोना वायरस वैक्सीन की रेस में चल रही ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी के इंसानों पर किए पहले ट्रायल के नतीजे सोमवार को The Lancet पत्रिका में छापे गए.
रिसर्च पेपर में बताया गया है कि वायरल वेक्टर से बनी कोरोना वायरस वैक्सीन ChAdOx1 nCoV-19 दिए जाने पर वायरस के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता पाई गई. साथ ही इसे सुरक्षित भी बताया गया है. इसके साथ ही अब इसे अगले चरण के ट्रायल के लिए भी ओके कर दिया गया है.
ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी ने जिस वैक्सीन को तैयार किया है वह इंसानों पर सुरक्षित साबित हुई है और उससे इम्यून सिस्टम बेहतर होने के संकेत मिले हैं.
बीबीसी के अनुसार, इस वैक्सीन का इस्तेमाल 1,077 लोगों पर किया गया. इन लोगों पर हुए प्रयोग में यह बात सामने आयी है कि वैक्सीन के इंजेक्शन से इन लोगों के शरीर में एंटीबॉडीज़ का निर्माण हुआ है जो कोरोना वायरस से संघर्ष करती हैं.
रिसर्च पेपर वैक्सीन में जो वायरल वेक्टर इस्तेमाल किया गया है, उसमें SARS-CoV-2 का स्पाइक प्रोटीन है. दूसरे फेज 1/2 में 5 जगहों पर 18-55 साल की उम्र के लोगों पर वैक्सीन का ट्रायल किया गया. कुल 56 दिन तक चले ट्रायल में 23 अप्रैल से 21 मई के बीच जिन लोगों को वैक्सीन दी गई थी उनमें सिरदर्द, बुखार, बदन दर्द जैसी शिकायतें पैरासिटमॉल से ठीक हो गईं. ज्यादा गंभीर साइड इफेक्ट्स नहीं हुए.
इस प्रयोग को काफ़ी उम्मीदों से देखा जा रहा है लेकिन अभी इसके दूसरे सुरक्षात्मक उपाय और बड़े समूह पर ट्रायल जारी है. हालांकि ब्रिटिश सरकार इस वैक्सीन के 10 करोड़ डोज़ का ऑर्डर दे चुकी है.