कोरोना महामारी ने आम लोगों के जीवन को पूरी तरह बदल दिया है। इसका असर लोगों के जीवन-शैली के साथ-साथ काम करने के अंदाज पर भी दिखने लगा है।
कोरोना के साइड एफेक्ट का असर एक अदालत के फैसले पर भी दिखा। मध्य प्रदेश में कोर्ट ने अपराध के आरोपियों को जमानत तब दी जब उनकी ओर से जमानत के नाम पर सैनिटाइजर और मास्क जमा किये गये। अमूमन कोर्ट में जमानत के बदले राशि जमा की जाती है।
मामला मध्य प्रदेश हाई कोर्ट का है। वहां शराब की स्मगलिंग के दो आरोपियों ने पुलिस गिरफ्त से निकलने के लिए राज्य में हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। कोर्ट ने जमानत देने की बात तो मान ली लेकिन साथ में शर्त लगा दी कि दोनों सरकारी अस्पताल में सैनिटाइजर और मास्क उपलब्ध कराएंगे। जब दोनों की ओर से अस्पताल में जमा कर दिये गये तब कोर्ट ने उन्हें रिहा कर दिया। कोर्ट ने दोनों आरोपियों को राज्य के धार जिला अस्पताल में पैरामेडिकल स्टाफ के लिए पांच-पांच लीटर अल्कोहल युक्त सैनिटाइजर और एन-95 के 200-200 मास्क दान करने होंगे।
सरकार ने कहा अब तक इतने मास्क बंटे
वहीं सरकार ने कहा है कि कोविड काल में पूरे देश में उसकी ओर से करोड़ा मास्ट और पीपीई किट बांटे गये। सरकार ने आंकड़ा जारी कर कहा कि 1 अप्रैल से लेकर अब तक राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को 2 करोड़ एन95 मास्क और 1.18 करोड़ पीपीई किट दिये गये हैं। वहीं 11300 ‘‘मेक इन इंडिया’’ वेंटिलेटर भी दिये गये हैं। इसके अलावा 1.02 लाख ऑक्सीजन सिलेंडर भेजे गये हैं। सभी राज्यों को 6.12 करोड़ हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन (एचसीक्यू) की गोलियां भी उपलब्ध कराई गई हैं। मालूम हो कि देश में पिछले कुछ दिनों से नये कोविड मामलों का मिलना तेजी से जारी है। आज जारी ताजे आंकड़ों के अनुसार देश में 6 लाख से अधिक मामले हो चुके हैं और संक्रमण के मामले में भारत रूस से आगे बढ़ सकता है।