डॉ. इप्सिता घोष, एमडी डीएम (एंडोक्रिनोलॉजी), नारायण सुपरस्पेशलिटी अस्पताल, ईईडीएफ अस्पताल और नारायण मेमोरियल अस्पताल कोलकाता
अनियमित अंतराल पर उपवास के सेहत पर संभावित फायदों की वजह से लोग इसमें काफी दिलचस्पी लेने लगे हैं। खाने और उपवास की अवधियों में लगातार फेरबदल करने से संभावित तौर पर सेहत को होने वाले फायदों में वजन घटाने में मदद मिलना, तथा टाइप 1 और टाइप 2 डायबिटीज से पीड़ित लोगों में इंसुलिन की जरूरतों को कम करना शामिल है। हालांकि इस तरह के नतीजे बेहद आशाजनक हैं, लेकिन डायबिटीज से पीड़ित लोगों के लिए लंबे समय तक उपवास के बारे में विचार करते समय बेहद सावधानी बरतना आवश्यक है।
अनियमित अंतराल पर उपवास वजन घटाने के साथ-साथ डायबिटीज से पीड़ित व्यक्तियों में इंसुलिन की जरूरतों को कम करने पर सकारात्मक प्रभाव डालता है।
छोटे स्तर पर इंसानों पर किए गए कई अध्ययनों में यह बात सामने आई है कि, अनियमित अंतराल पर उपवास वजन घटाने के साथ-साथ डायबिटीज से पीड़ित व्यक्तियों में इंसुलिन की जरूरतों को कम करने पर सकारात्मक प्रभाव डालता है। इन नतीजों से कई लोगों में उत्साह और दिलचस्पी जगी है। हालाँकि, इस बात को स्वीकार करना बेहद जरूरी है कि इस तरह के उपवास को लेकर लोगों में दिलचस्पी जानवरों पर किए गए अध्ययनों से प्रेरित है, लिहाजा यह बात पूरी तरह स्पष्ट है कि इसके लिए इंसानों पर अतिरिक्त शोध करने की जरूरत है। क्लिनिकल सेटिंग्स में उपवास की प्रक्रिया को लागू करते समय, हमें केवल जानवरों के अध्ययन पर निर्भर रहने के बजाय इंसानों पर किए गए शोध के नतीजों पर भरोसा करना चाहिए।
उपवास से लंबे समय में होने वाले फायदे, खास तौर पर दिल की बीमारियों से संबंधित
उपवास से लंबे समय में होने वाले फायदे, खास तौर पर दिल की बीमारियों से संबंधित खतरे को कम करने में इससे होने वाले फायदे पर अभी भी इंसानों पर किए गए बड़े स्तर के अध्ययन और स्पष्टीकरण की जरूरत है। महामारी विज्ञान के अध्ययनों, पायलट इंटरवेंशनल परीक्षणों तथा क्रमरहित तरीके से किए गए कुछ अन्य परीक्षणों के नतीजे बताते हैं कि, सामान्य तौर पर किसी व्यक्ति को उपवास से मिलने वाला फायदा इसके संभावित जोखिमों से कहीं अधिक हैं, इसके बावजूद इस बात को समझना बेहद जरूरी है कि डायबिटीज से पीड़ित व्यक्तियों की ज़रूरतें भी विशिष्ट होती हैं। इसी वजह से ऐसे लोगों को उपवास शुरू करने और बनाए रखने के बारे में बड़ी सावधानी से सोच-विचार करने की जरूरत होती है। इस पहलू को समझना सबसे ज्यादा जरूरी है कि, डायबिटीज को नियंत्रित करने में उपवास के फायदों के स्पष्ट तौर पर नजर आने अथवा इसे पूरी तरह अनुभव करने में कई महीनों से लेकर वर्षों तक का समय लग सकता है।
चिकित्सकों को डायबिटीज को नियंत्रित करने में उपवास के संभावित फायदों और अभी तक अज्ञात जोखिमों, दोनों पहलुओं को अच्छी
तरह समझते हुए उपवास पर संतुलित नजरिए से सोच-विचार करना चाहिए। हालाँकि, दवाइयों के अच्छी तरह उपयोग तथा ब्लड शुगर लेवल की नियमित तौर पर निगरानी के साथ, डायबिटीज से पीड़ित मरीजों के बीच अनियमित अंतराल पर उपवास को प्रोत्साहन दिया जा सकता है और इसे सुरक्षित तरीके से अमल में लाया जा सकता है।