मोटापा भारत और दुनिया भर में बढ़ रही एक पुरानी बीमारी यानी क्रॉनिक डिजीज है। इसे अक्सर कई लोगों द्वारा एक जीवनशैली के मुद्दे के रूप में देखा जाता है, जो बड़े पैमाने पर एक व्यक्ति की खाने की आदतों और शारीरिक गतिविधों की कमी के कारण होता है। लोग अक्सर मोटापे को अधिक वजन के साथ जोड़ते हैं, पर यह एक बहुत अधिक जटिल स्थिति है। मोटापे का जीवन की गुणवत्ता पर सीधा असर पड़ता है और यह हृदय रोग, मधुमेह, उच्च रक्तचाप और कई अन्य गंभीर बीमारियों सहित गंभीर स्वास्थ्य मुद्दों की ओर ले जाता है।
यह एक पुरानी स्थिति है जसमें बॉडी फैट में बढ़ोतरी हो जाती है। इससे शरीर द्वारा ऊर्जा को स्टोर करने एवं उसका उपयोग करने में समस्याएं आती हैं। हमें वजन बढ़ने के मूल कारणों पर ध्यान देने की जरूरत है और इसके लिए हमें दीर्घकालिक समग्र दृष्टिकोण अपनाना चाहिए। इसलिए, हेल्थकेयर चिकित्सक आमतौर पर मोटे लोगों के लिए सिर्फ डाइट एवं एक्सरसाइज से अलग हटकर कुछ खास तरह के उपचारों की सलाह देते हैं।
मोटापे को लेकर प्रचलित लोकप्रिय कथाएं व्यक्तिगत गैर-जिम्मेदारी, इच्छाशक्ति की कमी और लोगों पर दोष मढ़ने की धारणाओं पर आधारित हैं, जो आखिरकार उन्हें मोटे होने के लिए शर्मसार करती हैं। एक जटिल और पुरानी स्थिति होने के नाते मोटापे को आजीवन प्रबंधन की जरूरत होती है। मोटापे का उपचार व्यक्तिगत कारकों जैसे कि सेक्स, मोटापे की स्थिति, व्यक्तिगत स्वास्थ्य जोखिम, मनोविश्लेषण, मेटाबॉलिक विशेषताओं और पहले वजन घटाने के प्रयासों के परिणाम के आधार पर व्यक्तिगत होना चाहिए।
वजन घटाने के हार्मोनल और आनुवांशिक कारकों का मूल्यांकन भी एक विशिष्ट मोटापे से ग्रस्त रोगी के लिए एक अनुकूलित चिकित्सा अपनाने में मदद कर सकता है। एक बहुस्तरीय मोटापा प्रबंधन नेटवर्क व्यक्तिगत उपचार योजनाओं को प्राप्त करने में मदद करेगा। मोटापा प्रबंधन में उत्कृष्टता केंद्र या एक विशेष टीम साक्ष्य-आधारित दवाओं से प्राप्त मोटापे के उपचार के लिए सभी-समावेशी कार्यक्रम प्रदान करने में सक्षम होगी।
मोटापा प्रबंधन एक चिकित्सकीय रूप से गहन उपचार रणनीति है जिसे रोगी की जीवनशैली, वरीयता और स्थिति के अनुरूप विकसित किया जाता है। यदि रोगी एक सही उम्मीदवार है तो यह कार्यक्रम दवाओं, पोषण सहायता, बढ़ी हुई शारीरिक गतिविधियों, परामर्श और बैरियाट्रिक सर्जरी की समीक्षा और समायोजन को कवर कर सकता है।
यह समझना बहुत महत्वपूर्ण है कि मोटापा केवल अधिक खाने से या फिर एक्सरसाइज की कमी के कारण नहीं होता। इसके पीछे आनुवांशिकी, पर्यावरण और व्यवहार समेत कई कारण होते हैं। यह एक ऐसी स्थिति है जिससे अकेले लड़ना कठिन है। इसे एक चिकित्सा विशेषज्ञ की मदद से प्रबंधित करने की जरूरत है।