इंडस हेल्थ प्लस के अध्ययन से उजागर हुए स्वास्थ्य समस्याओं के मुख्य कारण
विश्व स्वास्थ्य दिवस के मौके पर, निवारक स्वास्थ्य देखभाल के क्षेत्र में अग्रणी नामक इंडस हेल्थ प्लस ने हेल्थ-चेक के आधार पर एक अध्ययन किया है। इस अध्ययन से सामने आया है कि शारीरिक असक्रियता, आनुवंशिक जोखिम, तनाव और अस्वस्थ जीवनशैली, डायबिटीज, बीपी और कार्डियोवैस्कुलर बीमारियों के जोखिम को बढ़ावा देने में अहम भूमिका निभाते हैं।
इंडस हेल्थ प्लस के अध्ययन से उजागर हुआ डायबिटीज का अधिक फैलाव
इंडस हेल्थ प्लस द्वारा जारी किए गए अब्नॉर्मैलिटी रिपोर्ट के अनुसार, ब्लड शुगर की जांच करवाने वाले 31% लोगों में यह बॉर्डरलाइन पर या प्रीडायिबिटक रेंज में था। इस रेंज में 30% महिलाएं और 32% पुरुष थे, जबकि 20% के लेवल डायबिटिक रेंज में थे। यह तब होता है जब सिस्टोलिक ब्लडप्रेशर 140 मिमी एचजी से ऊपर होता है।
उच्च ब्लड प्रेशर और स्वास्थ्य: इंडस हेल्थ प्लस के फिंडिंग्स
अध्ययन के अनुसार, कम-घनत्व वाले लिपोप्रोटीन (एलडीएल) के लिये परीक्षण किए गए लोगों में 31% लोग बॉर्डरलाइन के हाई रेंज में थे, जबकि 40% में 130 मिलीग्राम/डीएल (सामान्य सीमा <100 मिलीग्राम/डीएल) से अधिक पर स्तर था।
जीवनशैली और आनुवंशिक जोखिम: स्वास्थ्य में प्रमुख चुनौतियाँ
इंडस हेल्थ प्लस के अध्ययन में एक और महत्वपूर्ण आवश्यकता का उजागर होने पर प्रमुख ध्यानकेंद्र जीवनशैली और आनुवंशिक जोखिम हैं। इससे स्पष्ट होता है कि हमारी जीवनशैली में स्वस्थ आहार, नियमित व्यायाम, और स्थिर दिनचर्या का महत्व है। यही तरीके से हम अपने आनुवंशिक जोखिमों को भी समझ सकते हैं और उनका सामय पर प्रबंधन कर सकते हैं।
डायबिटीज, बीपी और कार्डियोवैस्कुलर बीमारियों का बढ़ता प्रसार
अध्ययन ने दर्शाया कि डायबिटीज, उच्च ब्लड प्रेशर, और कार्डियोवैस्कुलर बीमारियों के प्रसार में भी बढ़ती चुनौतियाँ पैदा हो रही हैं। इन बीमारियों का संबंध जीवनशैली, आनुवंशिक कारकों, और स्वस्थ रहने की अपढ़ति से होता है।
निवारक स्वास्थ्य देखभाल का महत्व
इस अध्ययन से साफ होता है कि निवारक स्वास्थ्य देखभाल की महत्वपूर्ण भूमिका है, जो हमारे स्वास्थ्य को नियंत्रित रखने में मदद कर सकती है। यह हमें समय पर स्वास्थ्य समस्याओं का पता लगाने और उनका प्रबंधन करने में सहायक होती है। इसके अलावा, सही जीवनशैली और आनुवंशिक समझ के माध्यम से हम अपने जीवन को स्वस्थ और सुरक्षित बना सकते हैं, जिससे हम बीमारियों के जोखिम को कम कर सकते हैं।